शब्द से मैं आज फिर
निःशब्द का आह्वान करने जा रहा हूँ ,

अपने मन की पीर, उर की वेदना का,
इस सुवर्णिम पृष्ठ पर अवसान करने जा रहा हूँ ,
क्लिष्ट परिभाषाओं का कर त्याग
मैं अनुराग को आसान करने जा रहा हूँ ,
इस मधुर पल की मधुर सम्भावना को नमन कर प्रिय,
मैं तुम्हारी प्रीत का सम्मान करने जा रहा हूँ।।।

1 Response
  1. Gaurav Says:

    This one's great...feelings flowing out of control I suppose.

    None the less...tum itna achcha kab se likhne lage...pehle to tum aise na the...

    looking forward to more...