हर दुआ में मेरी असर होता,
काश मैं कोई पयम्बर होता ॥ 
ज़ुल्फ़ के साए तीरगी करते,
बे-ख़लल  नींद का सफर होता ॥ 
चंद मिसरात, और लतीफ़े कुछ,
दिन मसर्रत में यूँ बसर होता ॥ 


-16 August 2014