अपनी साँसों से कोई सी दे मेरा चाक बदन,
नर्मी--लब से मिटा जाए कलेजे की चुभन |
देखे आंखों में मेरी यूँ की करार जाए,
खुशबुएँ इतनी बिखेरे कि सँवर जाए सुखन |
-1st of October, 2007
अब तो इस दिल को दिलासों से जिलाते रहिए,
वो जवाँ हो गए, बस खैर मनाते रहिए |
जान हैं वो,...दुरुस्त है, फिर भी,
दूरियाँ कीजिये या जान से जाते रहिए |
-30th of September, 2007