इक सपने भर नींद मिले,
और इक धड़कन भर जीवन |
एक क्षुधा भर अन्न मिले,
और इक तृष्णा भर सावन |
इक मात-पिता भर छत्र मिले,
और एक मित्र भर अपनापन |
इक अर्पण भर भक्ति मिले,
और इक सुरूप भर दर्शन |
इक अर्चन भर शब्द मिलें,
और इक स्वीकृति भर श्रुतिधन |
एक ह्रदय भर प्रीत मिले,
और इक पीड़ा भर आलिंगन |
इक नेहा भर नेह मिले,
इक मधु-बेला भर यौवन |
इक अंतस भर दीप मिलें,
और इक अंतर भर स्पंदन |
इक जय भर उत्साह मिले,
और एक कष्ट भर क्रन्दन |
इक संकट भर धैर्य मिले,
और इक इच्छा भर पूरन |
इक मुख भर तुलसी-पत्र मिलें,
इक घट भर गंगा-जल पावन |
इक अन्तिम-रथ भर अश्व मिलें,
और एक चिता भर चंदन |

देव ! करो स्वीकार प्रार्थना,
सुफ़ल बने निज-जीवन |||

-2nd of February, 2007
1 Response
  1. Gaurav Says:

    bhaiyya tumre charan kahan hai...

    matlab jeene nahi doge, itni bhaari bhaari baate kaise likh lete ho be...matlab kaise...matlab...How do you do it...?

    Liked it a lot...beautiful.