तंगी-ए-दिल के हाल लिखने थे,
उम्र के माह-ओ-साल लिखने थे,
दिल के सारे ख़्याल लिखने थे,
अपने सारे मलाल लिखने थे,
लाजवाबी सवाल लिखने थे,
कितने सारे वबाल लिखने थे,
आप अपनी मिसाल लिखने थे,
शेर कुछ खस्ता-हाल लिखने थे,
पर मेरा फ़न ही मेरे साथ नहीं |
मेरे दीवान के सफहों में दबे,
जाने कितने ही मिसरे तनहा हैं,
वो मुक़म्मल न जाने कब होंगे,...
कब खुदा मुझको वो हुनर देगा,...
कब मेरे दिल को मिल सकेगी ज़ुबाँ...|
-12th of December,2006
उम्र के माह-ओ-साल लिखने थे,
दिल के सारे ख़्याल लिखने थे,
अपने सारे मलाल लिखने थे,
लाजवाबी सवाल लिखने थे,
कितने सारे वबाल लिखने थे,
आप अपनी मिसाल लिखने थे,
शेर कुछ खस्ता-हाल लिखने थे,
पर मेरा फ़न ही मेरे साथ नहीं |
मेरे दीवान के सफहों में दबे,
जाने कितने ही मिसरे तनहा हैं,
वो मुक़म्मल न जाने कब होंगे,...
कब खुदा मुझको वो हुनर देगा,...
कब मेरे दिल को मिल सकेगी ज़ुबाँ...|
-12th of December,2006