हम I.D.C ke विद्यार्थी,
हम I.D. पढ़ने जाते हैं,
हम Form बिगाड़ा करते हैं,
गुब्बारे फाड़ा करते हैं,
होता हमसे कुछ काम नहीं,
बस बातें झाड़ा करते हैं |
हम soap solution पीते हैं,
P.O.P. खाया करते हैं,
कुछ और ना हो तो Clay से ही
हम काम चलाया करते हैं |
जब दूर देस से आगन्तुक,
मिलने को आया करते हैं,
हम कर्म साधना में अपने को
मगन दिखाया करते हैं |
हम घिसते-घिसते हार गए,
पर right angle कैसे पाएँ,
भर-भर balloon हम रीत गए,
पर balloonness कैसे लाएँ |
यह metamorphosis करने में,
हम स्वयं बदल से जाते हैं,
कल तक इंसानों जैसे थे,
अब बन्दर जैसा पाते हैं |
पर जो भी हो, जैसा भी हो,
हमने कुछ तो सीखा-जाना,
यह पहली सीढ़ी पार हुई,
पर ऊँचा बहुत हमें जाना |
हम patil Sir के आभारी,
Chakku Sir अपने अधिकारी,
नव-दृष्टि इन्ही से पाकर हम,
फिर देख रहे दुनिया सारी |
सब सीख-समझ के इक दिन,
हम भी अपनी Life बना लेंगे,
कुछ ही दिन में सब सपनो का
हम prototype बना लेंगे |
-5th August, 2008
4 Responses
  1. Anonymous Says:

    ey sir dats a gud one again........
    shanu raina


  2. Vanya Says:

    waah waah bakhshi ji...tumne toh sixer maar diya...very apt


  3. Thankoo hai ji...
    Started it as an assignment by Chakku Sir, but enjoyed writing this one. Really.


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