इस जहान-ए-फानी से,कूच बहुत आसाँ है ,
खुद को कोसते रहिए,आप मर ही जाएँगे |
-13th of December,2000
{सात साल हो चले अब | शुरुआत बेहद बचकानी ही थी | शायद यही उसका मज़ा भी था | मालूम नहीं तब से लेकर अब तक हमने कितनी तरक्की की है,...की भी है की नहीं | पर इतना जानते हैं, की पहला कदम हमेशा आपके साथ रहता है, अपको हौसला देता है | आज भी याद है वो दिन हमें| बहुत मज़ा आया था, जब पहली बार कुछ अपना लिख लिया, भले ही वो एक तुक्का ही था | यह भी पता नहीं की हमने यह शेर लिखा क्यों, मगर अब जैसा भी है,'मेरा' है |}
खुद को कोसते रहिए,आप मर ही जाएँगे |
-13th of December,2000
{सात साल हो चले अब | शुरुआत बेहद बचकानी ही थी | शायद यही उसका मज़ा भी था | मालूम नहीं तब से लेकर अब तक हमने कितनी तरक्की की है,...की भी है की नहीं | पर इतना जानते हैं, की पहला कदम हमेशा आपके साथ रहता है, अपको हौसला देता है | आज भी याद है वो दिन हमें| बहुत मज़ा आया था, जब पहली बार कुछ अपना लिख लिया, भले ही वो एक तुक्का ही था | यह भी पता नहीं की हमने यह शेर लिखा क्यों, मगर अब जैसा भी है,'मेरा' है |}