हर दुआ में मेरी असर होता, काश मैं कोई पयम्बर होता ॥ ज़ुल्फ़ के साए तीरगी करते, बे-ख़लल नींद का सफर होता ॥ चंद मिसरात, और लतीफ़े कुछ, दिन मसर्रत में यूँ बसर होता ॥ -16 August 2014
ऐसी आतिश निगाह-ए-तर में उठी, जिसको देखा, वो जला जाता है । हर भरम से भरा किये इसको, पर कहाँ दिल का खला जाता है । एक कंधे की तलब थी जिसको, चार कन्धों पे चला जाता है । एक यह जाँ, जो निकलती ही नहीं, एक यह दिल जो गला जाता है । सख्त ठहरे हैं हिजाबों के रिवाज़, अपना अंजाम टला जाता है । 'वाहियात' जिस गली से भी गुज़रा, शोर निकला, कि भला जाता है । -18 June 2013
तुम्हारे ज़हन की गलियाँ गुनाहों सी अँधेरी हैं, कब उनमें क्या गुज़रता है नज़र हरगिज़ नहीं आता |
तुम्हारे होंठ बुत से हैं, ना जाने क्यूँ नहीं खुलते ; कोई वादा उन्हें रोके हो जैसे मुस्कुराने से |
तुम्हारे हाथ की गर्मी न जाने क्यूँ नदारद है , असर मालूम होता है गए बरसों की सर्दी का |
है पत्थर सी हुई आँखें, मगर यह मोजज़ा क्या है ! किसी झरने सी क्यूँ अक्सर यह फ़िर बेरोक बहती हैं ?
तुम्हारे जिस्म में जो दिल किसी कोने में बसता था, सुनाई ही नहीं देता, बहुत ख़ामोश है कुछ दिन से | न हँसता है, न रोता है, न मुझसे पूछता है कुछ, न अपने जी की कहता है; न नगमे गुनगुनाता है, न पहले की तरह बातों के जुगनू जगमगाता है ; मगर फ़िर भी गुमाँ होता है कि जिंदा है वो अब भी ; उसे महफूज़ रखना तुम, की उसमें बेशुबा थोडा तो हिस्सा है हमारा भी |
फ़ना के रोज़ जब मैं नींद के बोसे की सोहबत में तुम्हारी ओर देखूंगा,... ज़रा सा मुस्कुरा देना ; मुझे कुछ प्यार दे देना ; भरोसा थोड़ा कर लेना ;
मेरी इतनी गुजारिश है, मुझे बर्दाश्त कर लेना, मेरे सारे गुनाहों को, बस उस दिन माफ़ कर देना...|
यह रचना हमने अपने मित्र पलाश की एक फिल्म के लिए लिखी थी | मेरी लेट-लतीफी के चलते इसका उपयोग फिल्म में हो नहीं सका, परन्तु इसे लिखने का अनुभव मॆं अब तक भूल नहीं पाया | एक अनुरोध है, कि इसे पढ़ते समय, पलाश की फिल्म को अवश्य ध्यान में रखें | फिल्म का लिंक नीचे दिया हुआ है...अद्भुत कृति है पलाश की यह | इसमें हिस्सेदारी मेरा सौभाग्य होता |
करोप्रतीक्षा, यासंभलजाओ, मरज़ीसिर्फ़तुम्हारीहै, धरतीहमसबकीहै... तुम्हारीहै... -25th September, २००४ {Written as an attempt to experiment with my style of writing, going this time for 'अगीत काव्य'- the poetry that in simple words is not a गीत i.e. can't be put to music. But I realized this style does'nt suite me. I am uploading this just for my sake. I like the idea of the above poem, but may be the style is something that I could not follow properly. May be I'll give it a second try )
रण-निमन्त्रण
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“घन और भस्म विमुक्त भानु- कृशानु-सम शोभित नये
अज्ञातवास समाप्त करके प्रकट पाण्डव हो गये ,
होकर कुमतिवश कौरवों ने प्रबलता की भ्रान्ति से
रण के विना देना न चाह...
Coatable Coats...
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♫ 1. The saddest summary of a life contains three descriptions: could have,
might have, and should have.
2. Talent does what it can, genius what it must......
Immigration disclaimer
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Things people don't tell you when you move out of India to another country :
You are your own Ramu Kaka/ Chotu/ Bahadur for practically everything you
do ...
TINKLE Anniversary cover
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Is it just me, or RGB-CMYK goofups... that the girl seems a little yellower
than I had intended!
Never mind! Thanks to TINKLE.
उन्मुक्त उड़ान
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मैं निकला घर से सपने लिए,
सपने उन्मुक्त उड़ानों के.
पर मेरी उड़ान उड़ान ही न थी.
माँ ने बोला
अरे ! उन्मुक्त उड़ान
लेने से पहले उड़ना तो सीख.
उड़ान की चा...
खबर ......
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वो मर गया
शायद आज
या कल
या और पहले
मुझे खबर अभी मिली
अच्छा हुआ
चलता - फिरता चल बसा
खुद अपनी कब्र में मसरूफ हो गया
जीना मुश्किल हो गया था
जितना जीता
...
चाँद और सितारे
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डरते-डरते दमे-सहर से,
तारे कहने लगे क़मर से ।
नज़्ज़ारे रहे वही फ़लक पर,
हम थक भी गये चमक-चमक कर ।
काम अपना है सुबह-ओ-शाम चलना,
चलन, चलना, मुदाम चलना ।
बेताब है ...